बैठो सबकी बुद्धि में करो निर्मल मन प्राण
कलमकार की कलम सदा चलती रहे निर्बाध
शब्द शब्द में झलके तुम्हारी महिमा अपार
पीली सरसों सा खिल उठे हर मन
पावन ऋतु बसंत सा हो हर आँगन
कोयल की कुह कुह हो और पिया का संग
राधा श्याम मयी हो अब हर प्रेमी का मन
आओ करें सब मिलकर माँ शारदे को कोटि कोटि नमन
बसंत पंचमी की शुभकामनाओं से खिले उठे हर मन