मेरी सीमितताएँ
सीमित संसाधन
सीमित सोच
उठने नहीं देते तल से मुझे
फिर कैसे एक नया आसमां उगाऊँ
होंगे औरों के लिए तुम
चितचोर भँवरे
माखनचोर नंदकिशोर
लड्डूगोपाल
और न जाने क्या क्या
मगर
इक नशा सा तारी हो गया है
जब से तुम्हारा संग किया
मेरे लिए तो मेरी 'वासना' भी तुम हो
और 'व्यसन' भी तुम ..... मोहन
लागी छूटे ना ..........